
मैं समझता था मोहब्बत की ज़बाँ ख़ुशबू है,
फूल से लोग उसे ख़ूब समझते होंगे|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं समझता था मोहब्बत की ज़बाँ ख़ुशबू है,
फूल से लोग उसे ख़ूब समझते होंगे|
बशीर बद्र