
पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में,
हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है|
राहत इंदौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में,
हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है|
राहत इंदौरी