
शाइरी ज़हर थी क्या करें ऐ ‘वसीम’,
लोग पीते रहे हम पिलाते रहे|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
शाइरी ज़हर थी क्या करें ऐ ‘वसीम’,
लोग पीते रहे हम पिलाते रहे|
वसीम बरेलवी