
उफ़ ये सन्नाटा कि आहट तक न हो जिसमें मुख़िल,
ज़िंदगी में इस क़दर हमने सुकूँ पाया न था|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उफ़ ये सन्नाटा कि आहट तक न हो जिसमें मुख़िल,
ज़िंदगी में इस क़दर हमने सुकूँ पाया न था|
क़तील शिफ़ाई