
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था|
क़तील शिफ़ाई