
छटा जहाँ से उस आवाज़ का घना बादल,
वहीं से धूप ने तलवे जलाए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
छटा जहाँ से उस आवाज़ का घना बादल,
वहीं से धूप ने तलवे जलाए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
Waah waah
Thanks a lot ji