
हम हैं वो टूटी हुई कश्तियों वाले ‘ताबिश,’
जो किनारों को मिलाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हम हैं वो टूटी हुई कश्तियों वाले ‘ताबिश,’
जो किनारों को मिलाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन,
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
उनके भी क़त्ल का इल्ज़ाम हमारे सर है,
जो हमें ज़हर पिलाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
किस तरह लोग चले जाते हैं उठ कर चुप-चाप,
हम तो ये ध्यान में लाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा,
हम तिरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस,
जो तअ’ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं,
हम परिंदे कहीं जाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश