
नाम मिरा था और पता अपने घर का,
उसने मुझको ख़त लिखने की कोशिश की|
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नाम मिरा था और पता अपने घर का,
उसने मुझको ख़त लिखने की कोशिश की|
गुलज़ार
ख़त लिखोगे हमें कहाँ आखि़र,
जोगियों का पता नहीं होता।
शिव ओम अंबर