करते हैं आज़ादाना हम!

क़ैद होकर और भी ज़िंदाँ में उड़ता है ख़याल,
रक़्स ज़ंजीरों में भी करते हैं आज़ादाना हम|

अली सरदार जाफ़री

मेहर-ओ-माह को पैमाना हम!

या जगा देते हैं ज़र्रों के दिलों में मय-कदे,
या बना लेते हैं मेहर-ओ-माह को पैमाना हम|

अली सरदार जाफ़री

इस अहद का अफ़्साना हम!

मिटते मिटते दे गए हम ज़िंदगी को रंग-ओ-नूर,
रफ़्ता रफ़्ता बन गए इस अहद का अफ़्साना हम|

अली सरदार जाफ़री

बा-शौकत-ए-शाहाना हम!

राह में फ़ौजों के पहरे सर पे तलवारों की छाँव,
आए हैं ज़िंदाँ में भी बा-शौकत-ए-शाहाना हम|

अली सरदार जाफ़री

लिए फिरते हैं ज़िंदाँ-ख़ाना हम!

क्या बला जब्र-ए-असीरी है कि आज़ादी में भी,
दोश पर अपने लिए फिरते हैं ज़िंदाँ-ख़ाना हम|

अली सरदार जाफ़री

गुल-ओ-गुलज़ार हर वीराना हम!

ख़ून-ए-दिल से चश्म-ए-तर तक चश्म-ए-तर से ता-ब-ख़ाक,
कर गए आख़िर गुल-ओ-गुलज़ार हर वीराना हम|

अली सरदार जाफ़री

गर्दिश-ए-पैमाना हम!

मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम,
गर्दिश-ए-तक़दीर से हैं गर्दिश-ए-पैमाना हम|

अली सरदार जाफ़री

इक रात है जो कटी नहीं है!

इक सुब्ह है जो हुई नहीं है,
इक रात है जो कटी नहीं है|

अली सरदार जाफ़री

वो आँख अभी उठी नहीं है!

इक धूप सी है जो ज़ेर-ए-मिज़्गाँ,
वो आँख अभी उठी नहीं है|

अली सरदार जाफ़री

शम-ए-तरब बुझी नहीं है!

दिल में जो जलाई थी किसी ने,
वो शम-ए-तरब* बुझी नहीं है|
*Lamp Of Joy
अली सरदार जाफ़री