
क़ैद होकर और भी ज़िंदाँ में उड़ता है ख़याल,
रक़्स ज़ंजीरों में भी करते हैं आज़ादाना हम|
अली सरदार जाफ़री
आसमान धुनिए के छप्पर सा
क़ैद होकर और भी ज़िंदाँ में उड़ता है ख़याल,
रक़्स ज़ंजीरों में भी करते हैं आज़ादाना हम|
अली सरदार जाफ़री
या जगा देते हैं ज़र्रों के दिलों में मय-कदे,
या बना लेते हैं मेहर-ओ-माह को पैमाना हम|
अली सरदार जाफ़री
मिटते मिटते दे गए हम ज़िंदगी को रंग-ओ-नूर,
रफ़्ता रफ़्ता बन गए इस अहद का अफ़्साना हम|
अली सरदार जाफ़री
राह में फ़ौजों के पहरे सर पे तलवारों की छाँव,
आए हैं ज़िंदाँ में भी बा-शौकत-ए-शाहाना हम|
अली सरदार जाफ़री
क्या बला जब्र-ए-असीरी है कि आज़ादी में भी,
दोश पर अपने लिए फिरते हैं ज़िंदाँ-ख़ाना हम|
अली सरदार जाफ़री
ख़ून-ए-दिल से चश्म-ए-तर तक चश्म-ए-तर से ता-ब-ख़ाक,
कर गए आख़िर गुल-ओ-गुलज़ार हर वीराना हम|
अली सरदार जाफ़री
मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम,
गर्दिश-ए-तक़दीर से हैं गर्दिश-ए-पैमाना हम|
अली सरदार जाफ़री
इक सुब्ह है जो हुई नहीं है,
इक रात है जो कटी नहीं है|
अली सरदार जाफ़री
इक धूप सी है जो ज़ेर-ए-मिज़्गाँ,
वो आँख अभी उठी नहीं है|
अली सरदार जाफ़री
दिल में जो जलाई थी किसी ने,
वो शम-ए-तरब* बुझी नहीं है|
*Lamp Of Joy
अली सरदार जाफ़री