
ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो,
इसी में उसका भला है ग़ुरूर कम कर दे|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो,
इसी में उसका भला है ग़ुरूर कम कर दे|
बशीर बद्र
न बस में ज़िन्दगी इसके न क़ाबू मौत पर इसका,
मगर इन्सान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है|
राजेश रेड्डी
तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते,
इसीलिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते|
वसीम बरेलवी