
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ “क़तील”,
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे।
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ “क़तील”,
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे।
क़तील शिफ़ाई