
बदी के सामने नेकी अभी तक,
सिपर-अंदाज़ होती जा रही है|
आनंद नारायण ‘मुल्ला’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बदी के सामने नेकी अभी तक,
सिपर-अंदाज़ होती जा रही है|
आनंद नारायण ‘मुल्ला’
मैं जिनको जान के, पहचान भी नहीं सकता,
कुछ ऐसे लोग मेरा घर जलाने वाले थे|
वसीम बरेलवी