
साक़ी के हाथ से मस्ती में जब कोई साग़र छूट गया,
मय-ख़ाने में ये महसूस हुआ हर मय-कश का दिल टूट गया|
शमीम जयपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
साक़ी के हाथ से मस्ती में जब कोई साग़र छूट गया,
मय-ख़ाने में ये महसूस हुआ हर मय-कश का दिल टूट गया|
शमीम जयपुरी
ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल,
सबको मदहोश करे होश से जाए ख़ुद भी|
अहमद फ़राज़
सब की नज़रों में हो साक़ी ये ज़रूरी है मगर,
सब पे साक़ी की नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं|
ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी