
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता|
बशीर बद्र
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में,
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता|
बशीर बद्र
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना,
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता|
बशीर बद्र
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता|
बशीर बद्र
तुझे भूल जाने की कोशिशें कभी कामयाब न हो सकीं,
तिरी याद शाख़-ए-गुलाब है जो हवा चली तो लचक गई|
बशीर बद्र
तिरे हाथ से मेरे होंट तक वही इंतिज़ार की प्यास है,
मिरे नाम की जो शराब थी कहीं रास्ते में छलक गई|
बशीर बद्र
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिझक गई|
बशीर बद्र
कहीं चाँद राहों में खो गया कहीं चाँदनी भी भटक गई,
मैं चराग़ वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई|
बशीर बद्र
कोई नग़्मा धूप के गाँव सा कोई नग़्मा शाम की छाँव सा,
ज़रा इन परिंदों से पूछना ये कलाम किसका कलाम है|
बशीर बद्र
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर,
कई साल बा’द मिले हैं हम तिरे नाम आज की शाम है|
बशीर बद्र