आज फिर से मैं छायावाद युग के एक और स्तंभ कवि स्वर्गीय जयशंकर प्रसाद जी की एक कविता शेयर कर रहा हूँ| प्रसाद जी ने जहां कामायनी, आँसू आदि जैसी अमर रचनाएं लिखी हैं, वहीं भारतीय संस्कृति के गौरव की पताका फहराने वाली अनेक कविताएं एवं नाटक भी लिखे थे|
लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय जयशंकर प्रसाद जी की यह रूमानी कविता –
तुम कनक किरन के अंतराल में लुक छिप कर चलते हो क्यों ?
नत मस्तक गर्व वहन करते यौवन के घन रस कन झरते हे लाज भरे सौंदर्य बता दो मोन बने रहते हो क्यो?
अधरों के मधुर कगारों में कल कल ध्वनि की गुंजारों में मधु सरिता सी यह हंसी तरल अपनी पीते रहते हो क्यों?
बेला विभ्रम की बीत चली रजनीगंधा की कली खिली अब सांध्य मलय आकुलित दुकूल कलित हो यों छिपते हो क्यों?
आज एक बार फिर मैं श्रेष्ठ कवि, गीतकार, संपादक और राजभाषा से जुड़े उच्च अधिकारी रहे, माननीय डॉक्टर बुदधिनाथ मिश्र जी का एक नवगीत प्रस्तुत कर रहा हूँ| डॉक्टर मिश्र की कुछ रचनाएं मैंने पहले भी शेयर की हैं, आज का यह नवगीत उनके नवगीत संग्रह- ‘शिखरिणी’ से लिया गया है| मौसम के छविचित्र को अपने अनूठे अंदाज़ में प्रस्तुत करने वाला यह नवगीत आज प्रस्तुत है –
लौट आए हैं जमुन-जल मेघ सिन्धु की अंतर्कथा लेकर । यों फले हैं टूटकर जामुन झुक गई आकाश की डाली झाँकती हैं ओट से रह-रह बिजलियाँ तिरछी नज़र वाली ये उठे कंधे, झुके कुंतल क्या करें काली घटा लेकर !
रतजगा लौटा कजरियों का फिर बसी दुनिया मचानों की चहचहाए हैं हरे पाखी दीन आँखों में किसानों की खंडहरों में यक्ष के साए ढूंढ़ते किसको दिया लेकर ?
दूर तक फैली जुही की गंध दिप उठी सतरंगिनी मन की चंद भँवरे ही उदासे गीत गा रहे झुलसे कमल-वन में कौन आया द्वार तक मेरे दर्भजल सींची ऋचा लेकर ? (दर्भजल=कुश से टपकता जल)
हिन्दी काव्य के गौरव और छायावाद युग के प्रमुख स्तंभ स्वर्गीय सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की एक कविता आज शेयर कर रहा हूँ| ऐसा भी माना जाता है कि निराला जी के काव्य में कविता के आने वाले दौर के, नवगीत के भी अंकुर शामिल थे| निराला जी ने कविता में बहुत प्रयोग किए और अनेक कालजयी रचनाएं दीं, जिनमें ‘राम की शक्ति पूजा’ भी शामिल थी|
लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी द्वारा रचित, वसंत का वर्णन अपने विशिष्ट अन्दाज़ में प्रस्तुत करने वाली यह कविता –
सखि वसन्त आया । भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया । किसलय-वसना नव-वय-लतिका मिली मधुर प्रिय-उर तरु-पतिका, मधुप-वृन्द बन्दी– पिक-स्वर नभ सरसाया ।
लता-मुकुल-हार-गंध-भार भर, बही पवन बंद मंद मंदतर, जागी नयनों में वन- यौवन की माया ।
आवृत सरसी-उर-सरसिज उठे, केशर के केश कली के छुटे, स्वर्ण-शस्य-अंचल पृथ्वी का लहराया ।
आज मैं गोवा की एक बेहद खूबसूरत बीच – ‘आरंबोल’ के बारे में बात करूंगा| पिछले कई वर्षों से गोवा के पंजिम नगर में रह रहा हूँ, और इसके बारे में भी हमेशा दुविधा में रहता हूँ कि इसे ‘पणजी’ कहूँ या ‘पंजिम’ कहूँ, क्योंकि ये दोनों नाम ही लिखे मिल जाते हैं|
हाँ तो गोवा में मीरामार बीच तो हमारे घर के सामने ही है, ऐसे कि हमारी बाल्कनी से ही ‘बीच’ दिखाई देती है| शाम को बीच पर ही टहलने जाता हूँ, और जब किसी को फोन पर बड़े उत्साह से बोलते हुए सुनता हूँ- ‘गोवा में हूँ, मीरामार बीच पर’ तो खयाल आता है कि अरे मैं तो यहाँ ही रहता हूँ|
खैर मीरामार के अलावा कुछ और ‘बीच’ भी देखी हैं लेकिन बहुत सारी ‘बीच’ देखनी अभी बाकी हैं| हाँ ये भी मानना होगा कि गोवा में जो कुछ बेहद खूबसूरत ‘बीच’ हैं उनमें आरंबोल (Arambol) बीच भी शामिल है, जिसे देखने के लिए मैं और मेरी पत्नी गए, शुक्रवार को वहाँ जाकर हम रविवार की शाम को वहाँ से वापस लौटे| गोवा की राजधानी ‘पंजिम’, जहां मैं रहता हूँ, वहाँ से ‘आरंबोल’ लगभग 43 किलोमीटर दूर है| एक बात और कि ये बीच जहां बेहद खूबसूरत स्थान है, सूर्यास्त देखने और कैमरे में क़ैद करने के लिए भी बहुत अच्छा स्थान है, वहीं यहाँ ज्यादा भीड़ भी नहीं रहती है| अतः यदि आप गोवा में बीच-भ्रमण की योजना बनाते हैं, तो उसमें ‘आरंबोल’ को भी शामिल करना उचित होगा|
वैसे जब आप आरंबोल भ्रमण के लिए जाते हैं तब आप यहाँ संगीत कार्यक्रमों का भी आनंद लेने का भी अवसर खोज सकते हैं| जैसे एक बेहद खूबसूरत स्थान यहाँ है ‘गार्डन ऑफ ड्रीम्स’, ये बेहद आकर्षक स्थान है, जैसे किसी बगीचे में ही हल्की ठंडक के बीच बैठकों के लिए छोटे-छोटे कमरे जैसे बने हैं, जिनमें सुविधा के अनुसार आप कुर्सियों, सोफ़े और बीन बैग्स पर बैठे रहें, लेट जाएँ, गप्पें मारते रहें, स्वल्पाहार का आनंद लेते रहें, यहाँ बहुत से कर्मचारी और वालन्टियर सेवा के लिए तत्पर रहते हैं, और इस परिसर के बीचोंबीच कलाकार लोग अपनी प्रस्तुति करते रहते हैं, जिनमें कभी-कभी ‘लकी अली’ भी आए हैं| कभी ये प्रस्तुतियाँ बहुत ही सुंदर हो जाती हैं| ‘गार्डन ऑफ ड्रीम्स’ के अलावा ऐसी गतिविधियां और स्थानों पर भी होती हैं, जिनकी जानकारी आप वहाँ जाने पर ले सकते हैं|
इस प्रकार गोवा भ्रमण के दौरान एक बेहद खूबसूरत ठिकाना है- आरंबोल बीच और इसके आसपास का क्षेत्र|