
अपनी दुनिया के लोग लगते हैं,
कुछ हैं छोटे तो कुछ बड़े हैं पेड़|
सूर्यभानु गुप्त
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अपनी दुनिया के लोग लगते हैं,
कुछ हैं छोटे तो कुछ बड़े हैं पेड़|
सूर्यभानु गुप्त