
कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी,
तुमसे क्या कहते कि तुमने क्या किया|
जावेद अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी,
तुमसे क्या कहते कि तुमने क्या किया|
जावेद अख़्तर
मैं ही न मानूँ मेरे बिखरने में वर्ना,
दुनिया भर को हाथ तुम्हारा लगता है|
वसीम बरेलवी
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है,
दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बरबाद किया है,
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा|
साहिर लुधियानवी
दुनिया को बेवफ़ाई का इल्ज़ाम कौन दे,
अपनी ही निभ सकी न बहुत दिन किसी के साथ|
वसीम बरेलवी
तू छोड़ रहा है तो ख़ता इसमें तिरी क्या,
हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता|
वसीम बरेलवी
अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत करके,
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते|
राहत इन्दौरी
तेरी गली में आ निकले थे दोष हमारा इतना था,
पत्थर मारे, तोहमत बाँधी, ऐब लगाया लोगों ने|
कैफ़ भोपाली
दुनिया है ये किसी का न इसमें क़ुसूर था,
दो दोस्तों का मिल के बिछड़ना ज़रूर था|
आनंद नारायण ‘मुल्ला’
किसको इल्ज़ाम दूँ मैं किसको ख़तावार कहूँ,
मेरी बरबादी का बाइस तो छुपा है मुझमें|
राजेश रेड्डी