
उनके क़दमों पे न रख सर, के है ये बे-अदबी,
पा-ए-नाज़ुक तो सर-आँखों पे लिए जाते हैं|
शमीम जयपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उनके क़दमों पे न रख सर, के है ये बे-अदबी,
पा-ए-नाज़ुक तो सर-आँखों पे लिए जाते हैं|
शमीम जयपुरी