
गुज़रो जो बाग से तो दुआ मांगते चलो,
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे।
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
गुज़रो जो बाग से तो दुआ मांगते चलो,
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे।
निदा फ़ाज़ली