
साक़ी के हाथ से मस्ती में जब कोई साग़र छूट गया,
मय-ख़ाने में ये महसूस हुआ हर मय-कश का दिल टूट गया|
शमीम जयपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
साक़ी के हाथ से मस्ती में जब कोई साग़र छूट गया,
मय-ख़ाने में ये महसूस हुआ हर मय-कश का दिल टूट गया|
शमीम जयपुरी
जाने कितनी बार ये टूटा, जाने कितनी बार लुटा,
फिर भी सीने में इस पागल दिल का मचलना जारी है|
राजेश रेड्डी