
मैंने जब पहले-पहल अपना वतन छोड़ा था,
दूर तक मुझको इक आवाज़ बुलाने आई|
कैफ़ भोपाली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैंने जब पहले-पहल अपना वतन छोड़ा था,
दूर तक मुझको इक आवाज़ बुलाने आई|
कैफ़ भोपाली