
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई
मना रहे हैं बहुत दिन से जश्न-ए-तिश्ना-लबी,
हमें पता था ये बादल इधर न आएगा|
वसीम बरेलवी