
अकेली शाम बहुत जी उदास करती है,
किसी को भेज कोई मेरा हमनवा कर दे|
राना सहरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अकेली शाम बहुत जी उदास करती है,
किसी को भेज कोई मेरा हमनवा कर दे|
राना सहरी