
चीख़ निकली तो है होंठों से मगर मद्धम है,
बंद कमरों को सुनाई नहीं जाने वाली|
दुष्यंत कुमार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
चीख़ निकली तो है होंठों से मगर मद्धम है,
बंद कमरों को सुनाई नहीं जाने वाली|
दुष्यंत कुमार