
रुके नहीं कोई यहाँ नामी हो कि अनाम,
कोई जाये सुबह् को कोई जाये शाम|
गोपाल दास नीरज
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रुके नहीं कोई यहाँ नामी हो कि अनाम,
कोई जाये सुबह् को कोई जाये शाम|
गोपाल दास नीरज
करें मिलावट फिर न क्यों व्यापारी व्यापार,
जबकि मिलावट से बने रोज़ यहाँ सरकार|
गोपाल दास नीरज
आँखों का पानी मरा हम सबका यूँ आज,
सूख गये जल स्रोत सब इतनी आयी लाज|
गोपाल दास नीरज
दूरभाष का देश में जब से हुआ प्रचार,
तब से घर आते नहीं चिट्ठी पत्री तार|
गोपाल दास नीरज
टी.वी.ने हम पर किया यूँ छुप-छुप कर वार,
संस्कृति सब घायल हुई बिना तीर-तलवार|
गोपाल दास नीरज
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम,
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम|
निदा फाज़ली
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, साँसों का इतिहास|
निदा फाज़ली
चाहे गीता बांचिए, या पढ़िए क़ुरआन,
तेरा मेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान|
निदा फाज़ली
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप,
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गई धूप|
निदा फाज़ली
सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत,
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत|
निदा फाज़ली