
अब भी किसी दराज में मिल जाएंगे तुम्हें,
वो खत जो तुम्हें दे न सके लिख लिखा लिए।
कुंवर बेचैन
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अब भी किसी दराज में मिल जाएंगे तुम्हें,
वो खत जो तुम्हें दे न सके लिख लिखा लिए।
कुंवर बेचैन