
जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं|
शहरयार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं|
शहरयार
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता,
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता|
निदा फ़ाज़ली