
सब की नज़रों में हो साक़ी ये ज़रूरी है मगर,
सब पे साक़ी की नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं|
ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सब की नज़रों में हो साक़ी ये ज़रूरी है मगर,
सब पे साक़ी की नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं|
ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी
मय-ख़्वारों की हर महफ़िल में,
खाली घूंटें हैं हम लोग।
शेरजंग गर्ग