
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस,
जो तअ’ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस,
जो तअ’ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं|
अब्बास ताबिश