
बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी,
सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी,
सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा|
कैफ़ी आज़मी