
रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते,
ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते,
ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ|
कैफ़ी आज़मी
किसी आँख में नहीं अश्के-ग़म, तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम,
तुझे ज़िन्दगी ने भुला दिया, तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम
जब-जब मौसम झूमा हमने कपड़े फाड़े, शोर किया,
हर मौसम शाइस्ता रहना कोरी दुनियादारी है|
निदा फ़ाज़ली
ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है,
किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो|
अहमद फ़राज़
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए,
सारे जहां ने हाथ में पत्थर उठा लिए|
कुंवर बेचैन