
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता|
बशीर बद्र
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा,
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा|
परवीन शाकिर
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की,
उसने ख़ुशबू की तरह मेरी पज़ीराई की|
परवीन शाकिर
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
कोई तस्वीर गाती रही रात भर|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
काँच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं,
काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता|
गुलज़ार
निकला जो चाँद आई महक तेज़ सी ‘मुनीर’,
मेरे सिवा भी बाग़ में कोई ज़रूर था|
मुनीर नियाज़ी
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
कोई तस्वीर गाती रही रात भर|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है,
ये धुँध है बादल है कि साया है कि तुम हो|
अहमद फ़राज़
वो कभी रंग वो कभी ख़ुशबू,
गाह गुल गाह रात-रानी है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
एक ना-शुकरे चमन को रंग-ओ-बू देता रहा,
आ गया हाँ आ गया काँटों में रहना आ गया|
आनंद नारायण मुल्ला