
बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं,
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं,
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता|
वसीम बरेलवी
दर्द मिन्नत-कशे-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ, बुरा न हुआ|
मिर्ज़ा ग़ालिब
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ|
मिर्ज़ा ग़ालिब