
दिल का वो हाल हुआ है ग़म-ए-दौराँ के तले,
जैसे इक लाश चटानों में दबा दी जाए|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल का वो हाल हुआ है ग़म-ए-दौराँ के तले,
जैसे इक लाश चटानों में दबा दी जाए|
जाँ निसार अख़्तर
मोहब्बत में ‘फ़िराक़’ इतना न ग़म कर,
ज़माने में यही होता रहा है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
एक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का,
एक वो दिन जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं|
जावेद अख़्तर
कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दिया,
उदासी की मेहनत ठिकाने लगी|
आदिल मंसूरी
‘फ़ैज़’ तकमील-ए-ग़म भी हो न सकी,
इश्क़ को आज़मा के देख लिया|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दिल का घर सुनसान पड़ा है,
दुख की धूम मचा के देखो|
मुनीर नियाज़ी
ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूँ इन निगाहों में,
बुरा क्या है अगर ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो|
साहिर लुधियानवी
नैरंग-ए-इश्क़ की है कोई इंतिहा कि ये,
ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ|
फ़िराक़ गोरखपुरी
है अब ये हाल कि दर दर भटकते फिरते हैं,
ग़मों से मैंने कहा था कि मेरे घर में रहो|
राहत इन्दौरी
कतरनें ग़म की जो गलियों में उड़ी फिरती हैं,
घर में ले आओ तो अम्बार से लग जाते हैं|
अहमद फ़राज़