
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है,
किसकी आहट सुनता है वीराने में।
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है,
किसकी आहट सुनता है वीराने में।
गुलज़ार
बूढ़ी पगडंडी शहर तक आकर,
अपने बेटे तलाश करती है|
गुलज़ार
एक उम्मीद बार बार आकर,
अपने टुकड़े तलाश करती है|
गुलज़ार
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार,
पीले पत्ते तलाश करती है|
गुलज़ार
जब गुज़रती है उस गली से सबा,
ख़त के पुर्ज़े तलाश करती है|
गुलज़ार
बीते रिश्ते तलाश करती है,
ख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है|
गुलज़ार
शाम के साये बालिस्तों से नापे हैं,
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में|
गुलज़ार
जाने किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में,
दर्द मज़े लेता है जो दुहराने में|
गुलज़ार
खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में,
एक पुराना खत खोला अनजाने में|
गुलज़ार
सहर भी, रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन,
हमीं ने शाम चुनी है, नहीं उदास नहीं|
गुलज़ार