यूँ तो पहले हमको तरसाया न था!

सुर्ख़ आहन पर टपकती बूँद है अब हर ख़ुशी,
ज़िंदगी ने यूँ तो पहले हमको तरसाया न था|

क़तील शिफ़ाई

हिज्र ने नाशाद किया!

कुछ नहीं इसके सिवा ‘जोश’ हरीफ़ों का कलाम,

वस्ल ने शाद किया हिज्र ने नाशाद किया|

जोश मलीहाबादी

जो कहते हैं उनको कहने दो!

या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझ को अभी चुप रहने दो,
मैं ग़म को ख़ुशी कैसे कह दूँ जो कहते हैं उनको कहने दो|

कैफ़ी आज़मी

अपने पे ग़ुरूर आ जाता है!

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है|

साहिर लुधियानवी

उस मक़ाम पे लाता चला गया!

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ,
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया|

साहिर लुधियानवी

न कहकर वो मुकर जाए तो कहना!

बहुत ख़ुश हो कि उसने कुछ कहा है,
न कहकर वो मुकर जाए तो कहना|

जावेद अख़्तर

अम्न-ओ-अमान बाक़ी है!

अब वो दुनिया अजीब लगती है,
जिसमें अम्न-ओ-अमान बाक़ी है|

राजेश रेड्डी

ख़ुशी से कोई मर भी नहीं जाता!

पागल हुए जाते हो ‘फ़राज़’ उससे मिले क्या,
इतनी सी ख़ुशी से कोई मर भी नहीं जाता|

अहमद फ़राज़

मगर आँसू निकल पड़े!

मुद्दत के बा’द उसने जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े|

कैफ़ी आज़मी

हज़ार रंग में डूबी हुई हवा क्यूँ है!

अगर तबस्सुम-ए-ग़ुंचा की बात उड़ी थी यूँही,
हज़ार रंग में डूबी हुई हवा क्यूँ है|

राही मासूम रज़ा