
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं,
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं,
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते|
बशीर बद्र
तमाम जिस्म ही घायल था, घाव ऐसा था,
कोई न जान सका, रख-रखाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
तेरी मानिंद तेरी याद भी ज़ालिम निकली,
जब भी आई है मेरा दिल ही दुखाने आई|
कैफ़ भोपाली
वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था,
आना न आना मेरी है मर्ज़ी, मगर तुमको बुलाना चाहिए था|
राहत इन्दौरी