
जो कहीं था ही नहीं उसको कहीं ढूँढना था,
हमको इक वहम के जंगल में यक़ीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो कहीं था ही नहीं उसको कहीं ढूँढना था,
हमको इक वहम के जंगल में यक़ीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं,
तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी|
वसीम बरेलवी