केदारनाथ सिंह जी आधुनिक हिन्दी कविता का एक प्रमुख हस्ताक्षर रहे हैं, जिनको साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त हुए थे| हर कवि का अपना अलग अंदाज़-ए-बयां होता है| आज केदारनाथ सिंह जी के रचनाकर्म की बानगी उनकी इस कविता के माध्यम से देखते हैं|
लीजिए आज प्रस्तुत है केदारनाथ सिंह जी की यह कविता-

काली मिट्टी काले घर
दिनभर बैठे-ठाले घर|
काली नदिया काला धन
सूख रहे हैं सारे बन|
काला सूरज काले हाथ
झुके हुए हैं सारे माथ|
काली बहसें काला न्याय
खाली मेज पी रही चाय|
काले अक्षर काली रात
कौन करे अब किससे बात|
काली जनता काला क्रोध
काला-काला है युगबोध|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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