आज बिना किसी भूमिका के जनाब कैफ़ी आज़मी साहब की एक प्रसिद्ध ग़ज़ल शेयर कर रहा हूँ, जो एक फिल्म में उनकी ही बेटी शबाना आज़मी पर फिल्माई गई थी|
मन की स्थितियों को, भावनाओं को किस प्रकार ज़ुबान दी जाती है ये कैफ़ी साहब बहुत अच्छी तरह जानते थे और शायरी के मामले में वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं|
लीजिए प्रस्तुत है यह प्यारी सी ग़ज़ल-

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं,
दबा दबा ही सही दिल में प्यार है कि नहीं |
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता,
मेरी तरह तेरा दिल बे-क़रार है कि नहीं |
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं|
तेरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार
**********