
जो बिसाते-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया,
उसे रोकने से हुसूल क्या? उसे भूल जा…उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो बिसाते-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया,
उसे रोकने से हुसूल क्या? उसे भूल जा…उसे भूल जा।
अमजद इस्लाम