
तन्हा हो तो घबराया सा लगता है,
भीड़ में उसको देख के अच्छा लगता है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तन्हा हो तो घबराया सा लगता है,
भीड़ में उसको देख के अच्छा लगता है|
वसीम बरेलवी
परछाईं के इस जंगल में क्या कोई मौजूद नहीं,
इस दश्त-ए-तन्हाई से कब लोग रिहाई पाएँगे|
राही मासूम रज़ा
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया,
हम पर किसी ख़ुदा की इनायत नहीं रही|
दुष्यंत कुमार
जो भी मिलता गले लगा लेता,
किस क़दर आइना अकेला था|
वसीम बरेलवी
प्यार तो जन्म का अकेला था,
क्या मिरा तजरबा अकेला था|
वसीम बरेलवी
अपने अंदाज़ का अकेला था,
इसलिए मैं बड़ा अकेला था|
वसीम बरेलवी
हँस न इतना भी फ़क़ीरों के अकेले-पन पर,
जा ख़ुदा मेरी तरह तुझको भी तन्हा रक्खे|
अहमद फ़राज़
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया,
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला|
अहमद फ़राज़
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक,
जिसको भी पास से देखोगे अकेला होगा|
निदा फ़ाज़ली
जो दूर दूर नहीं कोई दिल की राहों पर,
तो इस मरीज़ में जीने का हौसला क्यूँ है|
राही मासूम रज़ा