
नींद को ढूँड के लाने की दवाएँ थीं बहुत,
काम मुश्किल तो कोई ख़्वाब हसीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नींद को ढूँड के लाने की दवाएँ थीं बहुत,
काम मुश्किल तो कोई ख़्वाब हसीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजत,
ग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ|
अकबर इलाहाबादी