
तूने भी हमको देखा, हमने भी तुझको देखा,
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे।
मीना कुमारी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तूने भी हमको देखा, हमने भी तुझको देखा,
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे।
मीना कुमारी
बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे,
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे|
मीना कुमारी
बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजाकर,
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे|
मीना कुमारी
दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिये कश्ती,
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता|
मीना कुमारी
हँस- हँस के जवां दिल के, हम क्यों न चुनें टुकडे़,
हर शख्स़ की किस्मत में ईनाम नहीं होता|
मीना कुमारी
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही,
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता|
मीना कुमारी
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा।
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकां तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहां तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)