धूप से नफ़रत उसे भी थी!

तन्हा हुआ सफ़र में तो मुझ पे खुला ये भेद,
साए से प्यार धूप से नफ़रत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

सुनता था सबसे पुरानी कहानियाँ!

सुनता था वो भी सब से पुरानी कहानियाँ,
शायद रफ़ाक़तों की ज़रूरत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

हर साँस क़यामत उसे भी थी!

वो मुझसे बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया,
वर्ना हर एक साँस क़यामत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

शहर-भर से अदावत उसे भी थी!

मुझ से बिछड़ के शहर में घुल-मिल गया वो शख़्स,
हालाँकि शहर-भर से अदावत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

शौक़ था नए चेहरों की दीद का!

मुझ को भी शौक़ था नए चेहरों की दीद का,
रस्ता बदल के चलने की आदत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

किसी से मोहब्बत उसे भी थी!

ज़िक्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ से वहशत उसे भी थी,
मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी|

मोहसिन नक़वी

कई बार चराग़ों को बुझा कर!

इस शब के मुक़द्दर में सहर ही नहीं ‘मोहसिन’,
देखा है कई बार चराग़ों को बुझा कर|

मोहसिन नक़वी

दुश्मन की भी पहचान कहाँ है!

ऐ दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ है,
तू हल्क़ा-ए-याराँ में भी मोहतात* रहा कर|

*मोहित
मोहसिन नक़वी

कभी रो भी लिया कर!

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर|

मोहसिन नक़वी

परिंदों को दरख़्तों से उड़ाकर!

क्या जानिए क्यूँ तेज़ हवा सोच में गुम है,
ख़्वाबीदा परिंदों को दरख़्तों से उड़ाकर|

मोहसिन नक़वी