
कोई कहता था समुन्दर हूँ मैं
और मेरी जेब में क़तरा भी नहीं,
ख़ैरियत अपनी लिखा करता हूँ
अब तो तक़दीर में ख़तरा भी नहीं|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कोई कहता था समुन्दर हूँ मैं
और मेरी जेब में क़तरा भी नहीं,
ख़ैरियत अपनी लिखा करता हूँ
अब तो तक़दीर में ख़तरा भी नहीं|
कैफ़ी आज़मी
मैं खाली ज़ेब सब की निगाहों में आ गया,
सड़कों पे भीख मांगने वालों का क्या गया|
वसीम बरेलवी