
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर,
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर,
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते|
मुनव्वर राना
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से,
सो अपने आपको बरबाद करके देखते हैं|
अहमद फ़राज़
ख़ुशी हम ग़रीबों की क्या है मियाँ,
मज़ारों पे चादर चढ़ाई हुई |
बशीर बद्र