
मिरी गुम-गश्तगी पर हँसने वालो,
मिरे पीछे ज़माना चल रहा है|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मिरी गुम-गश्तगी पर हँसने वालो,
मिरे पीछे ज़माना चल रहा है|
राहत इन्दौरी
और ‘फ़राज़’ चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे,
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया|
अहमद फ़राज़
हर पनघट पर मेरे फ़साने, चौपालों पर ज़िक्र मेरा,
मेरी ही बातें होती हैं बस्ती के चौबारों में।
नक़्श लायलपुरी