
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ,
हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ,
हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ|
निदा फ़ाज़ली