
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर,
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर,
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे,
चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं|
राहत इन्दौरी
नींद से मेरा त’अल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं|
राहत इन्दौरी
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ,
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं|
राहत इन्दौरी
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं|
राहत इन्दौरी
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा,
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी
आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात,
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ,
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी
कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं,
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी